
और एक दिन बीत गया-
True words written by Dr..Lalit Mohan Pant.. Words About Life
नए साल की नयी शुरुवात ., नए जोश ,नए उमंग और नए सपनो के साथ हर कोई अपने नए साल का स्वागत करना चाहता है लेकिन जैसे जैसे दिन बीत जाते है ज़िन्दगी फिर से एक पहेली लगने लगती है…
ज़िन्दगी की इसी पहेली की परिभाषा डॉ. ललित मोहन पन्त जी ,जो की पेशे से इंदौर मध्य प्रदेश के हॉस्पिटल में डॉक्टर है ,के द्वारा लिखी गयी है. आइये देखते है ज़िन्दगी के किन लम्हो को उन्होंने अपने दिल की कलम से पन्नो पर उतारा है..Words About Life
जाने किस सुकून की तलाश में,और एक दिन बीत गया
जाने कितनी रातें ,रौंदता आया हूँ,इन्ही क़दमों से
जाने कितनी परछाइयाँ ,सौंप दी हैं सूरज को आज तक …
जाने कितनी बार ,लौट आया हूँ उस छोर से,जहां से फिर लौटना ,मुमकिन नहीं था,
जाने कितनी बार ,सिहर गईं हैं ,हड्डियाँ भीतर तक क्षणों के सहस्त्रांश भर की अनुभूतियों से
जाने क्यों उपलब्धियाँ जीवन की निरर्थक लगतीं हैं
जाने क्यों लालसाओं का ककून घेरता गया मुझे हर ओर से
और मैं एकाकी ढूँढता रहा जवाब अनुत्तरित प्रश्नों के ।।
भय नहीं चुक जाने का
भय है
चेतना की अकाल जड़ता का ,
मरीचिका की तृष्णा का ,
कोलाहल में खो जाने का ,
हमारे बीच माध्यम का अनुत्तरित प्रश्नों के समाधान का ,
तो क्याएक दिन इन खीसें निपोरते दहाड़ते सवालों के साथ
अपनी समस्त क्षमताओं से विद्रोह करना होगा तेरे विरुद्ध
सार्वभौम मान्यताओं के विरुद्ध
मैं जूझता रहा हूँ उसके लिए जो मिला नहीं ।।
अनवरत … अविरत …
-Dr .ललित मोहन पन्त (Words About Life)
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